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हरदोई: जिले के तहसील व विकासखंड बिलग्राम के ग्राम बैफरिया में कथित रूप से ज्ञानधारा पशु आहार खाने से भैंसों की मौत का मामला सामने आया है। इस घटना से गांव के पशुपालकों में भय और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। पीड़ित छविराम ने बताया कि उनकी भैंस इस ज्ञानधारा आहार को खाने के बाद मृत्यु को प्राप्त हो गई। इस घटना की सूचना 2 फरवरी 2025 को बिलग्राम थाना स्तर पर दी गई, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
पीड़ितों के अनुसार, इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। छविराम ने बताया कि उनकी भैंस परिवार के आय का एकमात्र स्रोत थी और अब उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचा है। इस मामले को जब सोशल मीडिया पर उठाया गया और X (ट्विटर) पर पोस्ट किया गया, तब जाकर पुलिस हरकत में आई और CO संडीला के निर्देशन में प्रार्थना पत्र को रिसीव किया गया। मृत भैंस का पोस्टमार्टम भी 2 फरवरी 2025 को कराया गया, लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं हुई है और न ही किसी प्रकार के मुआवजे को लेकर कोई सुनवाई हुई है।
क्षेत्र में 11-12 भैंसों की हो चुकी है मौत
छविराम ने बताया कि यह केवल उनकी भैंस तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि आसपास के इलाके में 11-12 अन्य भैंसों की भी इसी तरह मौत हो चुकी है। गांव के अन्य पशुपालकों ने भी प्रशासन से मांग की है कि इस ज्ञानधारा पशु आहार की बिक्री पर रोक लगाई जाए और दोषी कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। पशुपालकों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोका जाना चाहिए, ताकि भविष्य में अन्य लोगों को इस तरह के नुकसान का सामना न करना पड़े।
भैसों के मामले में प्रशासन की उदासीनता पर उठे सवाल
गांव के लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पीड़ितों का कहना है कि अगर इस मामले में समय रहते कार्रवाई होती, तो कई भैंसों की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को पशुपालकों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए।
इस भैसों में मामले में क्या कहती है सरकार की योजनाएं?
सरकार द्वारा पशुपालकों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इस तरह के मामलों में कोई ठोस सहायता नहीं मिलती है। पशुपालकों को सरकार से उम्मीद है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए और दोषी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और पीड़ितों को न्याय मिलता है या नहीं। गांव के लोग इस मामले को लेकर आंदोलित हैं और यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने पशुओं के पोस्टमार्टम और आहार के सैंपल की जांच के आदेश दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पशु आहार की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस घटना ने पशुपालकों में भय पैदा कर दिया है, जिससे वे अब बाजार में मिलने वाले आहार को लेकर सतर्क हो गए हैं। पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखें!