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हरदोई जनपद के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने आरोपी को कठोर सजा सुनाई है।
नाबालिग पर अपर सत्र न्यायाधीश मनमोहन सिंह ने आरोपी को 25 वर्ष के कारावास और ₹20,000 के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की संपूर्ण राशि पीड़िता को प्रदान की जाएगी।
नाबालिग पर मामले विवरण:
पीड़िता के पिता ने 27 नवंबर 2018 को कोतवाली देहात थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उनकी पांच वर्षीय बेटी सुबह 9 बजे घर के बाहर खेल रही थी, तभी पड़ोस के एक युवक ने उसे बहला-फुसलाकर चीज देने के बहाने अपने घर बुलाया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया।
नाबालिग पर न्यायालय की कार्यवाही:
शासकीय अधिवक्ता कृष्ण गोपाल त्रिपाठी ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी पाया। न्यायाधीश ने आरोपी को 25 वर्ष के कारावास और ₹20,000 के जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की पूरी राशि पीड़िता को प्रदान करने का आदेश दिया गया
नाबालिग पर न्यायालय की टिप्पणी:
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि ऐसे जघन्य अपराध समाज के लिए घातक हैं और इनके लिए कठोर सजा आवश्यक है, ताकि समाज में एक सख्त संदेश जाए और भविष्य में ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।
नाबालिग पर सजा का महत्व:
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों के प्रति गंभीर है और दोषियों को कठोर सजा देने में संकोच नहीं करता। इससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और ऐसे अपराधों में कमी आने की उम्मीद है।
इस मामले में न्यायालय का निर्णय न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय की भावना को मजबूत करता है, बल्कि समाज में ऐसे अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक होगा।
नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म एक गंभीर अपराध है
इसके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है। पॉक्सो एक्ट के तहत, यदि कोई व्यक्ति नाबालिग के साथ दुष्कर्म करता है, तो उसे उम्रभर की सजा, या कम से कम 20 साल की सजा, जो जीवनभर बढ़ाई जा सकती है, दी जा सकती है। यह सजा आर्थिक दंड (जुर्माना) के साथ भी हो सकती है।
साथ ही, यदि किसी दुष्कर्म के मामले में नाबालिग की उम्र 12 साल से कम है, तो दोषी को विशेष तौर पर कड़ी सजा दी जाती है, और सजा में कोई रियायत नहीं दी जाती। यह सजा जीवनभर की भी हो सकती है, और जेल में सजा काटने के दौरान दोषी को फिर से पीड़िता के संपर्क में आने की अनुमति नहीं होती।
समाज में इस तरह के अपराधों को रोकने और नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कड़े क़ानूनी प्रावधान बनाए गए हैं।
भारत में नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के शिकार व्यक्तियों को सरकार की ओर से कुछ प्रकार की आर्थिक मदद उपलब्ध है। यह मदद मुख्य रूप से पीड़िता के इलाज, कानूनी सहायता, और पुनर्वास से जुड़ी होती है।
- मुख्यमंत्री सहायता योजना: कई राज्य सरकारों ने नाबालिगों और महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री सहायता योजनाएँ लागू की हैं, जिनके तहत बलात्कार या दुष्कर्म पीड़िता को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता पीड़िता के उपचार, मानसिक पुनर्वास, और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होती है।
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW): राष्ट्रीय महिला आयोग भी महिलाओं और बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करता है। इसमें कानूनी मदद, काउंसलिंग, और अन्य सामाजिक सहायता शामिल होती है।
- राज्य हेल्पलाइन और सुरक्षा योजनाएँ: राज्य सरकारें महिलाओं और बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराती हैं, जिनके जरिए पीड़िता को तुरंत सहायता मिल सकती है, जिसमें वित्तीय मदद भी शामिल हो सकती है।
- राष्ट्रीय पुनर्वास योजना: यह योजना पीड़ितों को पुनः स्थापित करने के लिए मदद करती है, जिसमें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक पुनर्वास शामिल है।
साथ ही, अगर किसी पीड़िता के पास कोई कानूनी मदद की आवश्यकता हो, तो उसे मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। इस तरह की सहायता देशभर में न्याय विभाग या कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाती है।
सरकार की इन योजनाओं का उद्देश्य पीड़ितों को सशक्त बनाना और उन्हें पुनः सामान्य जीवन जीने में मदद करना है